औरत का बलिदान कौन देखता हैं
उसकी तपसया कौन देखता हैं
कभी सोचा हैं औरत का वज़ूद क्या हैं ??
कभी सोचा हैं औरत की पहचान क्या हैं ??
सोच कर देखों तुम
खुद उलज जाओगे
वो मां हैं या एक वेचारी
वो राखी हैं या किस्मत की मारी
वो धुप में जीती हैं
वो शाओ का पेड़ है
वो बोहत चुप सी हैं
पर शोर में घूम सी हैं
औरत दूध हैं बच्चे की भूख का
औरत पानी हैं आँखों के समुन्दर का
औरत शान हैं मर्द की आबरू की
औरत प्यास हैं दिल के जज्बातों की
औरत दर्द हैं अपनी ही ज़िन्दगी का
औरत सिसकी भरी वो साँस हैं जो हर रात आँखों में भर आता हैं
वो देवी हैं अपने बजूद में
वो पवितर नूर में
फिर भी हो वेज्जत हर गली
फिर भी जलील हो हर घड़ी
क्यों क्यों क्यों ???
kyunnnnnnnnnnnn??
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October 28, 2014
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